नैतिकता स्वतंत्रता का आधार
आज, 22/सितंबर 2024, रविवार को अरफीन मैरिज लॉन, शहर बदायूं में “नैतिकता स्वतंत्रता का आधार है के विषय पर एक अंतरधार्मिक संगोष्ठी आयोजित की गई। डॉ. आयशा खान ने कुरान की तिलावत से शुरुआत की। डॉ. राबिया शकील ने इस अभियान का
परिचय कराया। JIH महिला विभाग, पश्चिम उत्तर प्रदेश की सचिव डॉ. संजीदा आलम ने कहा कि जब तक लोग पैगंबरों की शिक्षाओं पर चलते रहे, तब तक यह दुनिया शांति का स्थल बनी रही,
आजादी के वर्तमान नारे ने महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से गुलाम बना दिया है।आज हम सभ का दायित्व बनता है कि हम अपने समाज में नैतिक मूल्यों को विकसित करने का प्रयास करें।
श्रीमती शोभा फ्रांसिस ने कहा कि आज जमात-ए-इस्लामी ने नैतिक गुणों को बढ़ावा देने के लिए जो कदम उठाया है वह सराहनीय है, नैतिक पतन आज एक बड़ी समस्या है।
श्रीमती कमलेश जी, शिक्षक अध्यक्ष, महिला जिला, बदायूँ, ने कहा कि आज युवा लड़के एवं लड़कियाँ तेजी से नैतिक पतन की ओर जा रहे हैं, हमें अपने अंदर उच्च नैतिकता विकसित करने की आवश्यकता है।
ब्लूमिंग डेल स्कूल के छात्र उनीब हाशमी ने अंग्रेजी भाषा में नैतिकता स्वतंत्रता का अवधार है की अवधारणा प्रस्तुत की। आज़ादी के नाम पर समाज में जो समस्याएँ पैदा हो गयीं हैं उन्हें दूर करने के सिद्धांत पवित्र क़ुरआन की रोशनी में बताये
ज़ेबा ज़मीर आसिम सिद्दीकी कॉलेज ने कहा कि सबसे पहले हमें नैतिक गुणों की शुरुआत अपने परिवार से करनी होगी।
श्रीमती असमा इम्तियाज, केंद्रीय सलाहकार परिषद, JIh की सदस्य, ने अध्यक्षीय भाषण देते हुए कहा अल्लाह ताला ने इंसान को बेहतरीन ढांचे पर पैदा किया है, लेकिन जब इंसान नैतिक गुणों को त्याग देता है,
तो वह सबसे निचले स्तर पर चला जाता है।उन्होंने कहा कि पश्चिमी सभ्यता अपनाने के फलस्वरूप अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं, जब कोई व्यक्ति अल्लाह का गुलाम नहीं बन पाता तो उसे सभी का गुलाम बनना पड़ता है।
कार्यक्रम के संचालन कादायित्व सुश्री शीबा खान ने निभाया।अंत में जनाब डॉ. एत्तेहाद आलम साहब ने वक्ताओं और श्रोताओं का आभार व्यक्त किया और उनके द्वारा महिला सद भावना मंच की घोषणा की गई, साथ ही सर्वसम्मति से अध्यक्ष व सचिव के नामों की घोषणा की गई। इस कार्यक्रम में लगभग 250 महिला एवं पुरूषों ने भाग लिया।